गोरखपुर-अपनी करतूतों से सीएम सिटी की छवि धूमिल कर रही है पुलिस,दागी और भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होने से बिगड़े हालात
सीएम सिटी गोरखपुर की पुलिस की छवि इन दिनों बदरंग हुई है। हैरानी की बात यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लाख कोशिशों के बावजूद पुलिस की छवि में सुधार नहीं आ रहा है। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर बार जनता दरबार में पुलिस को अपनी आदतों में सुधार लाने की हिदायत देते रहते हैं। लेकिन जनता को न्याय दिलाने में नाकाम पुलिस अपनी करतूतों से खाकी को दगादार कर रही है। जिसकी वजह से पुलिस के आलाधिकारियों के चौखट पर जनता की भीड़ बढ़ती जा रही है। न्याय की आस में जनता पुलिस के आलाधिकारियों से लेकर सीएम के दरबार में गुहार लगाने को बेबस है। गौरतलब है कि बीते दिनों पुलिसकर्मियों की करतूतों की वजह से सीएम सिटी की पुलिस का चेहरा बदनुमा हुआ है। इस साल की बात करें तो जनवरी 2021 से 31 अगस्त 2021 तक इस 8 महीनों के दौरान गोरखपुर में जहां भ्रष्टाचार और लापरवाह के आरोप में 21 पुलिसकर्मियों का निलंबित किया गया। वहीं, 39 पुलिसकर्मियों को लाइन का रास्ता दिखाया गया। जबकि इस दौरान गंभीर मामलों में दोष सिद्ध होने पर तीन पुलिसकर्मियों को बर्खास्त भी किया गया है। इतना ही नहीं, इस दौरान कई पुलिसकर्मियों पर आपराधिक मामलों में केस भी दर्ज किया गया, जबकि कुछ को जेल की यात्रा भी करनी पड़ी। आईये एक नजर डालते हैं सीएम सिटी की पुलिस की करतूतों को बयां करती इस रिपोर्ट पर-
मामला नंबर एक- थाना खजनी
जहां महुआडाबर चौकी इंचार्ज अभिजित कुमार ने धनउगाही नहीं होने से नाराज होकर युवक को जोरदार थप्पड़ रशीद कर दिया था। जिससे पीड़ित के अनुसार उसके कान का पर्दा फट गया था। इस मामले में युवक को थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होने पर एसएसपी ने चौकी इंचार्ज को लाइन हाजिर कर दिया। गौरतलब है कि दारोगा अभिजीत कुमार फिरौती मांगने के आरोप में जेल भी जा चुके हैं। तत्कालीन एसएसपी सत्यार्थ अनिरूध पंकज द्वारा युवक का अपहरण करके फिरौती मांगने के आरोप में दारोगा अभिजीत कुमार और रघुनंदन तिवारी को जेल भिजवाया था। बावजूद जेल से छूटने के बाद दोनों दारोगा की बहाली होने के साथ सीएम सिटी में फिर से तैनाती हो गयी।
मामला नंबर दो-थाना कोतवाली
बेनीगंज चौकी इंचार्ज बब्लू कुमार ने हिस्ट्रीशीटर रोहित यादव की जमकर पिटाई की थी। हालत गंभीर होने पर रोहित को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रोहित की बहन ने दारोगा बब्लू कुमार पर संगीन आरोप लगाते हुए उसके भाई को झूठे केस में फंसाने को लेकर पिटाई किये जाने की बात कही थी। इस मामले के तूल पकड़ने से पहले एसएसपी ने दारोगा को लाइन हाजिर करके किसी तरह तूल पकड़ रहे मामले को शांत कराया।
मामला नंबर तीन- थाना-गोला-
जहां शराब के नशे में धुत्त दीवान शैलेष सिंह द्वारा पब्लिक प्लेस में हंगामा करने की घटना का वीडियो वायरल हुआ था। मामला का संज्ञान लेते हुए एसएसपी ने लाइन हाजिर किया है। साथ ही सीओ को पूरे प्रकरण की जांच का आदेश एसएसपी ने दिया है।
मामला नंबर चार- थाना-शाहपुर
जहां प्लंबर से मामला मैनेज कराने की एवज में 12 हजार की रिश्वत मांगने के मामले में हेड कॉस्टेबल जितेन्द्र प्रधान को जहां एसएसपी ने सस्पेंड किया है। वहीं दारोगा राहुल सिंह को लाइन हाजिर किया था। दिलचस्प है कि रिश्वत मांगने का ऑडियो सामने आने पर हेड कॉस्टेबल और दारोगा पर कार्रवाई हुई थी।
मामला नंबर पांच- थाना-गुलरिहा
गुलरिहा थाने के दारोगा अजय वर्मा द्वारा महिला के चरित्र प्रमाण पत्र के सत्यापन की एवज में घूस मांगने की घटना सामने आई थी। हालांकि इस मामले में आईजीआरएस पर शिकायत भी की गयी थी। लेकिन गुलरिहा थाने की पुलिस द्वारा मनमाफिक रिपोर्ट लगाकर मामले की लीपापोती कर दी गयी।
निश्चित तौर पर ऊपर दर्शाये गये पुलिस केस दागी खाकी की एक बानगी भर हैं। ऐसे सैकड़ों मामले हर रोज जिले के पुलिस थाने पर आते हैं। जहां पुलिस द्वारा उन मामलों में ही विशेष रूचि ली जाती है जिसमें कुछ आर्थिक लाभ उनका होता है। नाहीं तो थाने जाने वाले फरियादी की आत्मा ही उसकी आपबीती बेहतर बयां कर सकती है।
दरअसल पुलिस और अपराध का नाता नया नहीं है। चंद दागी पुलिसकर्मियों के कारनामों की वजह से पूरे पुलिस महकमें की कार्यशैली सवालों के घेरे में रहती है। हालांकि दागियों की करतूतों को लेकर पुलिस अफसर सख्ती दिखाते हैं। और ऐसे पुलिसकर्मियों पर कठोर कार्रवाई भी कर रहे हैं। बावजूद इसके सीएम सिटी की पुलिस पर लगते दाग का सिलसिला फिलहाल कम होता नजर नहीं आ रहा है।
वहीं इस मामले में एडीजी जोन अखिल कुमार ने कहा है कि जोन लेबल पर दागी और भ्रष्ट पुलिसकर्मियों की लिस्ट बनायी जा रही है। ताकि उन पर सख्त कार्रवाई करने के साथ ही विभाग की छवि को चमकाया जा सके।